देहरादून – राज्य के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने राज्य में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) को कम करने के लिए एक व्यापक कार्य योजना विकसित करने की घोषणा की, जिसका उद्देश्य इसे दो अंकों में कम करना और राष्ट्रीय एमएमआर आंकड़ों में सुधार करना है। इसके अलावा, जिला स्तरीय अभियान बच्चों और महिलाओं में एनीमिया को लक्षित करेंगे। सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) विभाग को विभागीय योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने का काम सौंपा गया है।
डॉ. रावत ने स्वास्थ्य महानिदेशालय सभागार में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तीसरे चरण की समीक्षा बैठक की। उन्होंने एनएचएम सलाहकार और पूर्व स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. तृप्ति बहुगुणा को कार्य योजना बनाने की जिम्मेदारी सौंपी, जिसमें उच्च मातृ मृत्यु दर वाले जिलों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा ताकि सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) लक्ष्य 2030 को एमएमआर को प्रति एक लाख जीवित जन्मों पर 70 तक कम किया जा सके। वर्तमान में राष्ट्रीय एमएमआर प्रति एक लाख पर 103 है, जबकि राज्य की दर 97 है।
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मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को बच्चों और महिलाओं में एनीमिया से निपटने के लिए विशेष अभियान चलाने के भी निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने एनएचएम के तहत डायलिसिस सुविधाओं को सभी जिला और उप-जिला अस्पतालों तक बढ़ाने पर जोर दिया, ताकि किडनी के रोगियों को स्थानीय स्तर पर आवश्यक उपचार मिल सके।
डॉ. रावत ने राज्य और जिला स्तर पर आईईसी के प्रदर्शन पर असंतोष व्यक्त किया, स्वास्थ्य योजनाओं के प्रचार-प्रसार में विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने आईईसी से प्रचार-प्रसार के प्रयासों को बढ़ाने और तिमाही कार्यशालाओं का आयोजन करने का आग्रह किया। बैठक में एनएचएम निर्माण परियोजनाओं की भी समीक्षा की गई, जिन्हें समय पर पूरा करने के निर्देश दिए गए।
समीक्षा बैठक में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य और निगरानी परिषद उत्तराखंड के उपाध्यक्ष सुरेश भट्ट, उत्तराखंड चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एमएल ब्रह्म भट्ट, एनएचएम की एमडी स्वाति भदौरिया, एनएचएम सलाहकार डॉ. तृप्ति बहुगुणा, वित्त की अतिरिक्त सचिव अमिता जोशी जैसे उल्लेखनीय लोग शामिल हुए। बैठक में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. तारा आर्या, डॉ. सुनीता टम्टा, डॉ. मीतू शाह, एनएचएम वित्त नियंत्रक दीपाली भरणे, सीएमओ देहरादून डॉ. संजय जैन और अन्य विभागीय अधिकारी शामिल हुए। सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और डीपीएम वर्चुअली बैठक में शामिल हुए।