उत्तराखंड के प्रशिक्षण एवं रोजगार मंत्री सौरभ बहुगुणा ने सख्त कदम उठाते हुए अपने विभाग के कुछ अधिकारियों द्वारा तबादलों, अटैचमेंट और पदोन्नति से संबंधित निर्णयों को संभालने के तरीके पर कड़ी नाराजगी जताई है। बहुगुणा के अनुसार विभागीय मंत्री होने के बावजूद ये निर्णय उनसे परामर्श किए बिना लिए जा रहे हैं।
मंत्री की हताशा इस बात से है कि उनके अधिकार को बार-बार दरकिनार किया जा रहा है, जिसमें अधिकारियों द्वारा उच्च स्तर पर बिना बताए या उनसे मंजूरी लिए मनमाने निर्णय लिए जा रहे हैं। इस पर बहुगुणा ने सख्त चेतावनी जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि इस तरह की अनधिकृत कार्रवाइयों को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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विभागीय निदेशक को संबोधित एक पत्र में बहुगुणा ने इस बात पर जोर दिया कि भविष्य में उनकी सूचना के बिना लिए गए किसी भी निर्णय को स्वतः ही रद्द माना जाएगा। मंत्री के प्रमुख निजी सचिव जेसी गुणवंत द्वारा लिखे गए पत्र में दोहराया गया है कि अधिकारियों को प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्थानांतरण, संबद्धता और पदोन्नति से संबंधित सभी मामलों को अंतिम रूप देने से पहले मंत्री के ध्यान में लाया जाए।
पत्र का मुख्य अंश: “माननीय मंत्री के संज्ञान में आया है कि कार्मिकों के स्थानांतरण, संबद्धता और पदोन्नति से संबंधित निर्णय उच्च अधिकारियों को प्रस्तुत किए बिना विभागीय स्तर पर लिए जा रहे हैं। पिछले निर्देशों के बावजूद, ऐसे मामलों को अभी भी माननीय मंत्री के विचार के लिए प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है, जिससे उनकी नाराजगी है। भविष्य में मंत्री की स्वीकृति के बिना जारी किए गए ऐसे किसी भी आदेश को स्वतः ही रद्द कर दिया जाएगा।”
पत्र में विभागीय निदेशक को निर्देश दिया गया है कि वे सभी जारी आदेशों को मंत्री की समीक्षा के लिए ईमेल के माध्यम से भेजें, ताकि भविष्य में विभागीय निर्णयों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
मंत्री बहुगुणा की चेतावनी प्रशिक्षण और रोजगार विभाग के अधिकारियों को एक स्पष्ट संदेश देती है, जिसमें रेखांकित किया गया है कि उचित प्रक्रियाओं और प्रोटोकॉल का पालन वैकल्पिक नहीं है, और किसी भी विचलन के गंभीर परिणाम होंगे।