हरिद्वार: दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की नकल बनाए जाने पर संतों ने कड़ा विरोध जताया है।
जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर यतींद्रानंद गिरि ने कहा कि केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिरों की प्रतिकृतियां भारत में कहीं भी नहीं बनाई जानी चाहिए। उन्होंने इन मंदिरों के अनूठे महत्व पर जोर दिया, जिसमें केदारनाथ का महत्व केदार घाटी हिमालय में भगवान शिव की उपस्थिति और बद्रीनाथ का महत्व भगवान नारायण की तपस्या के कारण है।
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हाल ही में विवाद तब पैदा हुआ जब दिल्ली में केदारनाथ की प्रतिकृति बताए जा रहे एक मंदिर की आधारशिला रखी गई। इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी मौजूद थे, जिससे अटकलों को और बल मिला। हालांकि, यतींद्रानंद गिरि ने मुख्यमंत्री धामी से बात की, जिन्होंने केदारनाथ मंदिर की नकल बनाने की किसी भी योजना से इनकार किया।
महामंडलेश्वर यतींद्रानंद गिरि ने कहा कि ऐसे मंदिरों की नकल बनाना सनातन हिंदू संस्कृति का अपमान है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन पौराणिक तीर्थ स्थलों की पवित्रता उनके अद्वितीय स्थानों में निहित है, न कि केवल उनकी संरचनाओं में।
समाज में मंदिरों का स्वागत है, लेकिन पवित्र स्थलों की नकल बनाने का विचार अस्वीकार्य है। उन्होंने दिल्ली के कार्यक्रम में मौजूद साधु-संतों से भी सवाल किया और आश्चर्य जताया कि उन्होंने केदारनाथ की प्रतिकृति बनाने के विचार का विरोध क्यों नहीं किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह की पहल को समारोह में मौजूद आस्था के संरक्षकों द्वारा तुरंत खारिज कर दिया जाना चाहिए था।