निकाय चुनाव के मद्देनजर उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग ने आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर सात विभागों और संस्थाओं को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही, जिलाधिकारियों को ध्वनि प्रदूषण और सरकारी संपत्तियों के विरूपण पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
आयोग का बयान और कार्रवाई
राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने बताया कि कई विभागों और संस्थाओं ने आचार संहिता लागू होने के बाद चुनाव प्रचार से संबंधित अनुमतियां मांगी थीं। इनमें से केवल आवश्यक अनुमतियां ही दी गईं, जबकि कई प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया गया।
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उन्होंने बताया कि सात विभागों और संस्थाओं को आचार संहिता उल्लंघन के कारण नोटिस जारी किया गया है। इनमें से तीन विभागों ने जवाब प्रस्तुत कर दिया है, जिनका परीक्षण किया जा रहा है। अन्य विभागों के जवाब मिलने के बाद आयोग नियमानुसार अपना निर्णय लेगा।
ध्वनि प्रदूषण और विरूपण पर सख्ती
आयुक्त ने यह भी कहा कि कुछ निकायों से ध्वनि प्रदूषण और सार्वजनिक संपत्ति के विरूपण की शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इस पर ध्यान देते हुए सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि:
- ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।
- सरकारी संपत्तियों पर बिना अनुमति प्रचार सामग्री लगाने वालों के खिलाफ संपत्ति विरूपण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाए।
- जहां भी आयोग को आवश्यक लगेगा, वह खुद संज्ञान लेकर कार्रवाई करेगा।
डाक मतपत्र से मतदान की प्रक्रिया शुरू
निकाय चुनाव में डाक मतपत्रों से मतदान की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
- मेयर, नगर पालिका और पंचायत अध्यक्ष पद के लिए 4196 डाक मतपत्र जारी किए गए।
- पार्षद और वार्ड सदस्यों के लिए 4142 डाक मतपत्र जारी किए गए।
- चुनाव में लगे सरकारी कर्मचारी, सुरक्षा बलों के अधिकारी और कर्मचारियों के लिए ये डाक मतपत्र जारी किए गए हैं।
राज्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि सोमवार तक 1771 डाक मतपत्र वापस लौटकर आ चुके हैं, जबकि बाकी की प्रक्रिया अभी चल रही है।
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निष्कर्ष:
निर्वाचन आयोग के सख्त कदम और आचार संहिता लागू करने के प्रयास यह सुनिश्चित करेंगे कि निकाय चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न हों। ध्वनि प्रदूषण और संपत्ति विरूपण पर सख्ती से कार्रवाई करना आयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वहीं, डाक मतपत्रों से मतदान की प्रक्रिया सुचारू रूप से जारी है।