उत्तराखंड सरकार मत्स्य संपदा योजना के तहत मछली पालन, खासकर ट्राउट मछली पालन को बढ़ावा देकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। राज्य भर में ट्राउट मछली पालन को स्वरोजगार के अवसरों से जोड़ने के लिए 200 करोड़ रुपये का व्यापक प्रस्ताव तैयार किया गया है।
मुख्य फोकस: पहाड़ी क्षेत्रों में ट्राउट मछली पालन
सरकार नाबार्ड के सहयोग से ट्राउट मछली पालन को बढ़ावा देने की योजना बना रही है, शुरुआत में इस प्रयास के लिए उपयुक्त माने जाने वाले आठ जिलों को लक्षित किया जा रहा है। इन पहाड़ी जिलों की नदियाँ और प्राकृतिक झीलें अपने ठंडे और मीठे पानी के वातावरण के कारण ट्राउट मछली पालन के लिए आदर्श हैं।
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वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावना
मध्य हिमालयी क्षेत्र में कृषि विकल्प के रूप में इसकी उपयुक्तता के बावजूद, उत्तराखंड में ट्राउट मछली पालन अभी भी अन्य राज्यों की तुलना में अपने शुरुआती चरण में है। पहचाने गए जिलों में उत्तरकाशी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर, हरिद्वार और हरिद्वार शामिल हैं।
संसाधन लंबाई/क्षेत्र मैदानी क्षेत्र (%) पहाड़ी क्षेत्र (%) नदियाँ 2,686 किमी 10 90 प्राकृतिक झीलें 297 हेक्टेयर 5 95 वर्तमान में, राज्य में 594.7 मीट्रिक टन ट्राउट का उत्पादन होता है। हालांकि, इस योजना के कार्यान्वयन से ट्राउट उत्पादन बढ़कर 3,800 मीट्रिक टन होने की उम्मीद है। सरकार किसानों को समर्थन देने और उत्पादन बढ़ाने के लिए क्लस्टर बनाने की योजना बना रही है। सरकारी सहायता और भविष्य की योजनाएँ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 15 अगस्त को राज्य में ट्राउट पालन और विपणन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 200 करोड़ रुपये की पहल की घोषणा की। इस योजना में पहाड़ी क्षेत्रों में ट्राउट उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं और अन्य बुनियादी ढाँचे का निर्माण शामिल है। मत्स्य पालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा, “पूरी योजना तैयार कर ली गई है और पहाड़ियों में ट्राउट उत्पादन बढ़ाने के लिए कोल्ड स्टोरेज निर्माण सहित विभिन्न पहल की जाएंगी।”