Gopinath Temple Gopeshwar : ASI की टीम के द्वारा मंदिर में आ रही समस्याओं का अवलोकन किया। हक-हकूकधारियों के द्वारा मंदिर में आ रहे बदलाव से उनको अवगत कराया गया।
Gopinath Temple Gopeshwar : उत्तराखंड के गोपेश्वर में स्थित ऐतिहासिक गोपीनाथ मंदिर जो चार धाम मार्ग पर स्थित है का निरीक्षण करने ASI की टीम गोपीनाथ मंदिर परिसर में पहुंची एवं मंदिर की सुरक्षा में उठ रहे सभी सवालों का पुरातत्व विभाग की टीम के द्वारा पूरी बारीकी से निरीक्षण किया।
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विभागीय अधिकारियों का यह मानना है कि मंदिर के शीर्ष भाग में ऊपर की तरफ अपने स्थान से खिसक गए हैं। ASI अधिकारी के द्वारा मंदिर परिसर में सुरक्षा का उपयोग करने की बात कही गई इसके साथ-साथ यह भी बताया कि निकट भविष्य में मंदिर परिसर के लिए कोई बड़ा खतरा नहीं है।
गोपीनाथ मंदिर परिसर के निरीक्षण के लिए ASI की टीम शनिवार की देर शाम गोपेश्वर पहुंची एवं रविवार को पूर्वाह्न 11 बजे बारिश के दौरान ही अधीक्षण पुरातत्व मनोज सक्सेना, अधीक्षण अभियंता रामकिशोर मीणा एवं संरक्षण सहायक आशीष सेमवाल के द्वारा मंदिर का निरीक्षण किया। ASI की टीम के द्वारा मंदिर में आ रही समस्याओं का अवलोकन किया। हक-हकूकधारियों के द्वारा मंदिर में आ रहे बदलाव से उनको अवगत कराया गया।
Gopinath Temple Gopeshwar : धंस रही शिवलिंग की जलेरी
पंडित हरीश भट्ट के द्वारा बताया गया कि गर्भ ग्रह में अक्सर बारिश के होने पर पानी टपकता रहता है। शिवलिंग की जलेरी धंस रही है। इसके साथ साथ मंदिर के नजदीक स्थित ही सीवेज लाइन से भी दिक्कतें आ रही हैं। अधीक्षण पुरातत्व मनोज सक्सेना ने कहा कि मंदिर एवं मंदिर परिसर में जो भी समस्या एवं गड़बड़ी दिखाई दी है उन्हें शीघ्र दूर किया जाएगा। शीघ्र ही ASI की टीम दोबारा आवश्यक उपकरणों के साथ मंदिर परिसर का सर्वे करेगी। मंदिर के गर्भगृह मैं सुधार एवं बाहर स्थित ड्रेनेज सिस्टम में भी सुधार किया जाएगा।
Gopinath Temple Gopeshwar : अंकित लिपि एवं प्राचीन त्रिशूल के संरक्षण की मांग की.
पुरातत्व विभाग की टीम के अधिकारियों ने मंदिर के पुजारियों एवं हक-हकूकधारियों के साथ वार्ता की। हक हकूकधारी हरीश भट्ट, महादेव, डॉ. अरविंद भट्ट, क्रांति भट्ट, उमेश, मनीष नेगी, महेंद्र नेगी, प्रवीण भट्ट आदि के द्वारा मंदिर परिसर में स्थित प्राचीन त्रिशूल एवं मंदिर अथवा आसपास की दीवारों पर अंकित प्राचीन लिपि के संरक्षण की मांग की। उन्होंने बताया कि दुर्लभ लिपि मंदिर एवं आसपास के पत्थरों पर अंकित की गई है, अंकित लिपि को लिपि विशेषज्ञों के द्वारा अध्ययन कराने की व्यवस्था की जाए जिससे यह पता चल सके कि इन पर यह क्या लिखा गया है। हक-हकूकधारियों ने मंदिर के आसपास जल भराव एवं सीवर निकासी को व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग की।