देहरादून: शहरी विकास सचिव नीतेश झा ने नगर निकायों में आउटसोर्सिंग के माध्यम से हो रही अनियमितताओं पर सख्त कदम उठाए हैं। उन्होंने नगर आयुक्तों और शहरी विकास निदेशक को संबोधित पत्र में अनियमित रूप से नियुक्त आउटसोर्स कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
सरकार के आदेश का पालन अनिवार्य
पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि 12 जून 2015 को शहरी विकास विभाग द्वारा स्वीकृत पुनर्गठित संरचना के अतिरिक्त किसी भी पद पर दैनिक वेतनभोगी, अनुबंध या आउटसोर्स कर्मियों की नियुक्ति नहीं की जानी चाहिए। अगर बिना सरकारी अनुमति के ऐसे पदों पर नियुक्तियां की गई हैं, तो उन्हें तत्काल समाप्त किया जाए।
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अवैध नियुक्तियों के लिए जिम्मेदार अधिकारी से वसूली
सरकार ने निर्देश दिया है कि यदि कोई नगर निकाय, सरकारी आदेशों या दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए अपने स्तर पर कर्मियों की नियुक्ति करता है या उन्हें वेतन प्रदान करता है, तो उसकी वसूली संबंधित निकाय के नियंत्रक/प्राधिकारी से की जाएगी।
27 अप्रैल 2018 के आदेशों का अनुपालन अनिवार्य
सचिव ने यह भी कहा कि 27 अप्रैल 2018 के कार्मिक विभाग के आदेश और 12 जून 2015 की पुनर्गठित संरचना के अलावा की गई सभी नियुक्तियां अवैध मानी जाएंगी।
कार्यवाही की स्थिति की रिपोर्ट मांगी गई
नगर निकायों से यह निर्देश दिया गया है कि वे अनियमित नियुक्तियों पर की गई कार्रवाई की स्थिति तुरंत सरकार को शहरी विकास निदेशालय के माध्यम से उपलब्ध कराएं।
सप्ताह भर में जानकारी देने का निर्देश
शहरी विकास निदेशालय को निर्देशित किया गया है कि वह सभी निकायों से कार्रवाई की रिपोर्ट लेकर एक सप्ताह के भीतर सरकार को सौंपे।
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सरकार का कड़ा रुख: अनियमितताओं पर रोक
इस कदम से स्पष्ट है कि राज्य सरकार नगर निकायों में पारदर्शिता और अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। शहरी विकास विभाग का यह आदेश न केवल अनियमित नियुक्तियों पर रोक लगाएगा, बल्कि निकायों में वित्तीय जिम्मेदारी और अनुशासन को भी मजबूत करेगा।
निष्कर्ष
सरकार द्वारा लिया गया यह सख्त कदम निकायों में फैले भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को खत्म करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस आदेश से निकायों में निष्पक्षता और पारदर्शिता बढ़ेगी और सरकारी संसाधनों का सही उपयोग सुनिश्चित होगा।