Haridwar Nagar Nigam : गुरुवार शाम को नगर निकाय चुनाव का मतदान संपन्न हो गया, और इसके साथ ही प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला मतपेटी में बंद हो गया है। भाजपा की ओर से मेयर पद के लिए किरण जैसल चुनाव मैदान में हैं, और उन्हें जिताने की पूरी रणनीति शहर विधायक मदन कौशिक ने बनाई थी। कौशिक इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के मुख्य रणनीतिकार और समर्थक के रूप में सक्रिय नजर आए।
भाजपा खेमे में असमंजस
अब सबकी नजर इस बात पर है कि क्या मतदाता भाजपा की किरण जैसल को अपना मेयर चुनेंगे।
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विधायक की प्रतिष्ठा दांव पर
यह चुनाव मदन कौशिक की साख के लिए भी अहम है। पिछली बार हुए नगर निगम चुनाव में उन्होंने अन्नु कक्कड़ को भाजपा प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वह चुनाव हार गई थीं। इस बार कांग्रेस ने शहर में मेडिकल कॉलेज को निजी हाथों में सौंपने और कॉरिडोर के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया, जिससे भाजपा का एक बड़ा वोट बैंक नाराज हो गया। हालांकि, पार्टी ने नाराज वोटरों को मनाने का प्रयास किया, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे भाजपा प्रत्याशी को समर्थन देंगे या उनका वोट कहीं और चला गया।
ज्वालापुर में कांग्रेस की मजबूती
ज्वालापुर क्षेत्र में कांग्रेस के पक्ष में माहौल दिखाई दिया, जिसने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि भाजपा अंतिम समय में जीत दर्ज कर सकती है, लेकिन हार-जीत का अंतर काफी कम रहेगा। वहीं, कांग्रेसियों का दावा है कि इस बार फिर से उनका मेयर नगर निगम की बागडोर संभालेगा।
वार्डों में भाजपा को नुकसान की आशंका
देखना होगा कि क्या वार्ड स्तर पर भाजपा को ज्यादा फायदा मिलता है या कांग्रेस को। लग तो यही रहा है कि भाजपा के ज्यादा पार्षद जीतकर आएंगे। टिकट वितरण को लेकर असंतोष के चलते कुछ बागी प्रत्याशी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, देखना होगा कि अब यह बीजेपी को कितना नुकसान पहुंचाएंगे।
कांग्रेस का दावा, भाजपा की चुनौती
कांग्रेस का कहना है कि इस बार नगर निगम पर फिर से उनकी ही पकड़ मजबूत होगी। वहीं, भाजपा खेमे में इस समय गहन मंथन चल रहा है। यह चुनाव न केवल दोनों पार्टियों के लिए, बल्कि मदन कौशिक की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण बन गया है।
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अंतिम फैसला मतपेटी से
अब सबकी निगाहें मतगणना पर टिकी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा नाराजगी और बागियों के बावजूद अपनी जीत सुनिश्चित कर पाएगी या कांग्रेस के मुद्दे और रणनीति भारी पड़ेंगे। आने वाले नतीजे राजनीतिक परिदृश्य को नई दिशा देने वाले साबित हो सकते हैं।