कांवड़ यात्रा एक वार्षिक तीर्थयात्रा है, जिसमें शिव भक्त, जिन्हें कांवरिया या भोले के नाम से जाना जाता है, गंगा नदी से पवित्र जल लेने के लिए उत्तराखंड में हरिद्वार, गौमुख और गंगोत्री और बिहार के भागलपुर में अजगैवीनाथ और सुल्तानगंज जैसे हिंदू तीर्थ स्थलों की यात्रा करते हैं। इस वर्ष की यात्रा 22 जुलाई को शुरू होगी और 2 अगस्त को समाप्त होगी, जो श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी तिथि को शिवरात्रि के उत्सव के साथ मेल खाती है।
कांवड़ यात्रा: इतिहास
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव के एक समर्पित अनुयायी भगवान परशुराम ने श्रावण माह के दौरान पहली कांवड़ यात्रा की थी, जिसमें त्रयोदशी तिथि पर शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाया गया था। तब से यह परंपरा संतों और भक्तों द्वारा कायम है। इस तीर्थयात्रा में पुरुष और महिलाएँ दोनों ही बड़े उत्साह के साथ भाग लेते हैं।
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कांवड़ यात्रा: महत्व
पूरे भारत से श्रद्धालु इस पवित्र यात्रा में शामिल होते हैं, ऋषिकेश, गंगोत्री, गौमुख और हरिद्वार जैसे पवित्र स्थानों से पवित्र गंगा जल एकत्र करते हैं। गंगा में पवित्र स्नान करने के बाद, वे अपने कांवड़ को भरते हैं, जो एक बांस का डंडा होता है जिसके दोनों सिरों पर घड़े लगे होते हैं, और इसे अपने कंधों पर ढोते हैं। कई भक्त पैदल यात्रा करते हैं, कुछ नंगे पैर भी, जबकि अन्य साइकिल, स्कूटर, मोटरसाइकिल, जीप और मिनी ट्रक का उपयोग करते हैं।
कांवड़ यात्रा: सुरक्षा उपाय
- हथियार ले जाने की अनुमति नहीं: कांवड़ियों को यात्रा के दौरान हथियार ले जाने की अनुमति नहीं है। डीजे की अनुमति है, लेकिन ध्वनि के स्तर को सख्ती से नियंत्रित किया जाएगा।
- निगरानी: यात्रा की निगरानी सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन के माध्यम से की जाएगी।
- सुरक्षा क्षेत्र: पूरे मार्ग को पाँच सुरक्षा क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।
- स्वास्थ्य शिविर: मार्ग के विभिन्न बिंदुओं पर स्वास्थ्य और कांवड़ शिविर स्थापित किए जाएँगे।
- महिला शिविर: महिलाओं के लिए अलग से शिविर स्थापित किए जाएँगे, जिनमें विष-निरोधक इंजेक्शन लगे होंगे।
- यातायात प्रतिबंध: 21 जुलाई की मध्यरात्रि से दिल्ली एक्सप्रेसवे, देहरादून एक्सप्रेसवे और चौधरी चरण सिंह कांवड़ मार्ग सहित यात्रा मार्गों पर भारी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
- सुरक्षा दल: संवेदनशील स्थानों पर डॉग स्क्वॉड, बम निरोधक दस्ते, आईबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो), खुफिया इकाइयाँ और एआईयू (उग्रवाद निरोधक इकाई) सक्रिय रहेंगे।
- जिला सुरक्षा: उत्तराखंड की सीमा से लगे जिलों और गाजियाबाद, मेरठ, अयोध्या, बरेली, प्रयागराज, वाराणसी, बाराबंकी और बस्ती जैसे प्रमुख जिलों में सुरक्षा बढ़ाई जाएगी।
- खाद्य प्रतिबंध: यात्रा मार्ग पर मांस सहित मांसाहारी वस्तुओं की बिक्री प्रतिबंधित है।
- स्वच्छता और प्रकाश व्यवस्था: मार्ग पर उचित स्वच्छता उपाय और पर्याप्त स्ट्रीट लाइटिंग सुनिश्चित की जाएगी।
इस वर्ष की कांवड़ यात्रा का उद्देश्य सभी प्रतिभागियों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करते हुए आध्यात्मिक उत्साह को बनाए रखना है।