Maha Kumbh Mela 2025 Prayagraj : नागा संन्यासी बनने के नियम.
- आवश्यकता और छानबीन: अगर कोई व्यक्ति नागा साधु बनना चाहता है, तो उसे पहले अखाड़े द्वारा अपने और परिवार के बारे में पूरी छानबीन से गुजरना पड़ता है।
- अखाड़े में प्रवेश: तहकीकात के बाद इच्छुक व्यक्ति को अखाड़े में प्रवेश की अनुमति मिलती है।
- ब्रह्मचर्य की परीक्षा: अखाड़े में प्रवेश के बाद साधक की ब्रह्मचर्य की परीक्षा ली जाती है।
- दीक्षा की मंजूरी: अगर अखाड़ा और गुरु तय करते हैं कि व्यक्ति दीक्षा लेने के योग्य है, तो उसे अगली प्रक्रिया में ले जाया जाता है।
- समय सीमा: इस प्रक्रिया में 6 महीने से लेकर 12 साल तक का समय लग सकता है।
- गुरु की नियुक्ति: परीक्षा पास करने के बाद साधक के 5 गुरु बनाए जाते हैं, जो उसकी मार्गदर्शक भूमिका निभाते हैं।
- बाल कटवाना: साधक को सबसे पहले अपने बाल कटवाने होते हैं, जो उनके पुनर्जन्म की शुरुआत मानी जाती है।
- श्राद्ध कर्म: साधक को अपने परिवार और समाज के लिए मृत मानकर अपना श्राद्ध कर्म स्वयं करना पड़ता है। यह पिंडदान अखाड़े के पुरोहित द्वारा करवाया जाता है।
- गुरुमंत्र की महत्ता: दीक्षा के बाद साधक को गुरु से प्राप्त गुरुमंत्र में पूरी आस्था रखनी होती है।
- आध्यात्मिक तपस्या: साधक की भविष्य की सभी तपस्या उस गुरु मंत्र पर आधारित होती है, जो उसके आध्यात्मिक जीवन का मार्गदर्शन करता है।
इन नियमों के पालन से साधक एक वास्तविक नागा साधु बनने के योग्य होता है।