Municipal Elections : उत्तराखंड में लंबे समय से लंबित नगर निगम चुनाव अब सितंबर-अक्टूबर में कराए जाने का प्रस्ताव है, जिसका प्रस्ताव फिलहाल हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
पिछले साल नवंबर में नगर निकायों का पांच साल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद चुनाव कराने में असमर्थता के कारण प्रशासकों की नियुक्ति की गई थी। नगर निगम अधिनियम के तहत प्रशासक केवल छह महीने तक ही काम कर सकते हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव समेत अन्य चुनौतियों के चलते उनका कार्यकाल तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया था। मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है, जिसने देरी पर कड़ा रुख अपनाया है।
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सरकार ने पहले 30 जून तक चुनाव कराने का वादा किया था, लेकिन यह समयसीमा चूक गई। इसके जवाब में सितंबर के मध्य से अक्टूबर तक चुनाव कराने का नया प्रस्तावित कार्यक्रम हाईकोर्ट को सौंपा गया है।
चुनाव की तैयारी में सरकार ने ओबीसी आरक्षण निर्धारण, नगर निगम अध्यक्षों के अधिकार और जुड़वां बच्चों वाले उम्मीदवारों से संबंधित नियमों जैसे मुद्दों को संबोधित करते हुए निकाय अधिनियम में संशोधन करने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दी है। इन संशोधनों के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है।
सरकार को सभी नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण की समीक्षा करने का भी काम सौंपा गया है। इस उद्देश्य के लिए गठित वर्मा आयोग ने 95 निकायों के लिए रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिनकी वर्तमान में गहन समीक्षा की जा रही है।
लंबे समय से लंबित नगर निगम चुनावों के लिए प्रस्तावित समय-सीमा अब उच्च न्यायालय के हाथों में है, जिसमें आगे की कार्रवाई न्यायालय के निर्णय पर निर्भर करेगी। साथ ही, नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण निर्धारित करने की प्रक्रिया आने वाले दिनों में आगे बढ़ेगी।