उत्तराखंड में 13 फरवरी को आयोजित होने वाली वनाग्नि नियंत्रण मॉक ड्रिल की तैयारियों के तहत टेबल टॉप एक्सरसाइज का आयोजन किया गया। यह अभ्यास राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), गृह मंत्रालय, भारत सरकार, और उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) के संयुक्त तत्वावधान में हो रहा है।
💡 मुख्य बिंदु:
✅ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के 10-पॉइंट एजेंडा को ध्यान में रखते हुए आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर जोर
✅ लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग – सेटेलाइट मॉनिटरिंग, मोबाइल ऐप, और वेदर फोरकास्टिंग
✅ 1438 कमांड पोस्ट स्थापित – वनाग्नि संवेदनशील क्षेत्रों में त्वरित प्रतिक्रिया के लिए
✅ वन विभाग का मोबाइल ऐप – आग की तस्वीर अपलोड कर तुरंत सूचना भेजने की सुविधा
✅ फायर वॉचर्स के लिए इंश्योरेंस – सुरक्षा और राहत कार्यों को मजबूती देने के लिए
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NDMA सदस्य ले. ज. (रि.) सैयद अता हसनैन ने आपदा प्रबंधन में तकनीक और सामुदायिक सहभागिता की सराहना की। उन्होंने कहा कि वनाग्नि एक गंभीर चुनौती है, और मॉक ड्रिल का उद्देश्य कमियों की पहचान कर उन्हें दूर करना है।
इस मॉक ड्रिल को उत्तराखंड के 6 सर्वाधिक प्रभावित जिलों – अल्मोड़ा, चंपावत, पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी और देहरादून के 16 स्थानों पर किया जाएगा।
इस महत्वपूर्ण पहल में वरिष्ठ अधिकारी और आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों की भागीदारी रही, जिनमें प्रमुख रूप से वन विभाग प्रमुख डॉ. धनंजय मोहन, डीजी होमगार्ड पीवीके प्रसाद, आईजी एसडीआरएफ रिद्धिम अग्रवाल, आईजी फायर मुख्तार मोहसिन सहित अन्य अधिकारी शामिल रहे।
🔥 सामुदायिक भागीदारी से ही आपदा का प्रभावी समाधान संभव है! इस मॉक ड्रिल के जरिए उत्तराखंड वनाग्नि नियंत्रण के लिए अधिक सक्षम और तैयार होगा।
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