· ऊर्जा दक्षता, लचीला बुनियादी ढांचा और रिन्यूएबल एनर्जी भारी निवेश को आकर्षित करने के लिए तैयार हैं
· भारत में 96% निवेशक जलवायु निवेश में रुचि रखते हैं, जो सर्वेक्षण में शामिल सभी बाजारों में सबसे अधिक है
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· निवेशकों को इसके सकारात्मक प्रभाव और व्यक्तिगत मूल्य से प्रेरणा मिल रही है
29 नवंबर 2023, भारत: स्टैंडर्ड चार्टर्ड की लेटेस्ट सस्टेनेबल बैंकिंग रिपोर्ट 2023 से पता चलता है कि 2030 तक भारत में जलवायु निवेश के लिए 543 बिलियन अमेरिकी डॉलर की खुदरा (रिटेल) निवेशक पूंजी जुटाई जा सकती है। यह रिसर्च पूरे एशिया, अफ्रीका और मिडिल ईस्ट के 10 ग्रोथ मार्केट में 1800 लोगों के बीच किए गए सर्वेक्षण से निवेशकों की रुचि पर आधारित है। यह सर्वे जलवायु निवेश के लिए 3.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की वैश्विक क्षमता की पहचान करता है, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए लोगों की ताकत को भी दिखाता है।
भारत में जलवायु निवेश के अंतर्गत, 324 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रवाह शमन विषयों (किसी भी घटना से होने वाले नुकसान के जोखिम को कम करने वाले विषयों) में किया जा सकता है – ऊर्जा दक्षता (एनर्जी एफिशिएंसी), नवीकरणीय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी)और ऊर्जा भंडारण (एनर्जी स्टोरेज) सबसे अधिक पूंजी को आकर्षित करने के लिए तैयार हैं। लचीले बुनियादी ढांचे, बायो डाइवर्सिटी यानी जैव विविधता और खाद्य प्रणालियों सहित अनुकूलन के लिए 219 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाए जा सकते हैं।
सर्वेक्षण से पता चलता है कि भारत में 96 फीसदी निवेशक जलवायु निवेश में रुचि रखते हैं, जो सर्वे किए गए सभी बाजारों में सबसे अधिक हैं। उनमें से 84 फीसदी जलवायु की ओर निवेश बढ़ाना भी चाहते हैं। ऐसे निवेश करते समय वे मुख्य रूप से इसके सकारात्मक असर और व्यक्तिगत मूल्यों से प्रेरित होते हैं।
हालांकि, कई तरह की रुकावटें, जो निवेशक के सेग्मेंट के अनुसार अलग-अलग होती हैं, उन्हें अपनी रुचि को निवेश में बदलने से रोक रही हैं।
Investor segment | Barriers to mitigation investment | Barriers to adaptation investment |
Affluent | Accessibility (76%) Comparability (75%) Comprehensibility (73%) | Comparability (74%) Accessibility (72%) Perceived higher risks (72%) |
High-Net-Worth (HNW) | Perceived higher risks (72%) Ambivalence/Fatigue (70%) Accessibility (66%) | Ambivalence/Fatigue (72%) Accessibility (70%) Comprehensibility (66%) |
Next Generation HNW | Accessibility (73%) Ambivalence/Fatigue (73%) Scepticism (70%) | Perceived low returns (79%) Comparability (76%) Ambivalence/Fatigue (73%) |
इंडस्ट्री को खुदरा पूंजी (रिटेल कैपिटल) की क्षमता को अनलॉक करने के लिए निवेशकों को इन बाधाओं को दूर करने में मदद करने की आवश्यकता है। वित्तीय संस्थानों, नियामकों, कंपनियों और व्यक्तियों को अधिक खुदरा भागीदारी बढ़ाने के लिए जलवायु परिसंपत्तियों की एक विस्तृत रेंज स्थापित करने के लिए ठोस प्रयास करना चाहिए।
एसेट मैनेजर्स और बैंकों को उभरते निवेशकों के हितों, जैसे बायो डाइवर्सिटी यानी जैव विविधता और ब्लू इकोनॉमी से मेल खाने के लिए नई जलवायु परिसंपत्तियों को नया करने के लिए भी काम करना चाहिए। वित्तीय संस्थानों को 3 स्तंभों के माध्यम से खुदरा पूंजी जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है – निवेशकों को सूचना, उत्पाद अनुकूलन और परिणाम के आधार (आउटकम बेस्ड) पर जानकारी के साथ सशक्त बनाना। डिजिटल और फिनटेक समाधान इसमें एक बड़ी भूमिका निभाएंगे और निवेशकों के लिए सभी प्रक्रियाओं को सरल बनाएंगे।
दुनिया भर की इंडस्ट्री को भी निवेशकों का विश्वास बढ़ाने के लिए रिपोर्टिंग मानकों को संरेखित करने और मिनिमम डिसक्लोजर की जरूरतों को अनिवार्य करने की आवश्यकता है।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड के ग्लोबल हेड, वेल्थ मैनेजमेंट, डिपॉजिट्स एंड मॉर्गेज- मार्क वान डी वाले, , ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रति हमारी सामूहिक प्रतिक्रिया को फाइनेंसिंग करना एक महत्वपूर्ण चुनौती है. ओवरआल क्लाइमेट मिटिगेशन जलवायु शमन और अनुकूलन को खरबों डॉलर के सालाना फंडिंग गैप का सामना करना पड़ता है। इस अंतर को भरने के लिए फंड जुटाते समय अक्सर संस्थागत पूंजी पर ध्यान केंद्रित किया जाता है – खुदरा निवेशक पूंजी का पैमाना और ताकत एक कम जानकारी वाला अवसर है। निवेशकों की रुचि और जलवायु निवेश के पैमाने के बीच मौजूदा अंतर को दूर करने के लिए, इंडस्ट्री को समाधानों तक पहुंच में सुधार, रिपोर्टिंग मानकों और प्रभाव के मापने में सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता है। हम अपने ग्राहकों के निवेश को उनकी रुचि के क्षेत्रों के अनुरूप बनाने के लिए उनके साथ मिलकर काम करना जारी रखते हैं, ताकि वे अधिक टिकाऊ भविष्य के लिए वित्तीय समाधानों में मदद कर सकें।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के इंडिया हेड, वेल्थ मैनेजमेंट- सौरभ जैन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन भारत के लिए एक प्रमुख चुनौती है। लगातार मौसमी घटनाओं, बढ़ती आबादी और बढ़ते शहरीकरण के कारण जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सफलतापूर्वक सामना करने और उन्हें प्रबंधित करने वाले बुनियादी ढांचे के निर्माण पर तेजी से ध्यान देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है। साथ ही देश के नेट जीरो टारगेट को हासिल करने के रास्ते पर बने रहने पर भी प्रकाश डाला गया है। हमारी रिपोर्ट से पता चलता है कि जलवायु निवेश के फाइनेंसिंग के लिए खुदरा निवेशकों से आधा ट्रिलियन डॉलर से अधिक उपलब्ध हो सकता है। वेल्थ मैनेजर इन निवेश को प्रभावशाली वित्तीय समाधानों में बदलने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने भारत में, इनोवेटिव यानी नए प्रोडक्ट के माध्यम से जलवायु कार्रवाई के लिए धन जुटाने के लिए अपने ग्राहकों और एसेट मैनेजर के साथ काम करना जारी रखा है।