उत्तराखंड निकाय चुनाव : आगामी उत्तराखंड नगर पालिका परिषद चुनाव में भाग लेने वाले उम्मीदवारों को चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित सख्त व्यय दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। इन सीमाओं में चुनाव से संबंधित विभिन्न खर्च शामिल हैं, जिसमें कार्यकर्ताओं, समर्थकों और मतदाताओं के लिए प्रचार सामग्री और जलपान शामिल हैं।
टोपी और जलपान: उम्मीदवारों के लिए तय दरें
एक उल्लेखनीय प्रतिबंध समर्थकों को वितरित की जाने वाली टोपी की कीमत पर है, जो ₹23 प्रति टोपी से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, उम्मीदवार चाय पर अधिकतम ₹12 और समोसे पर ₹10 खर्च कर सकते हैं। उम्मीदवारों द्वारा ऐसे सभी खर्चों को सावधानीपूर्वक दर्ज किया जाना चाहिए।
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दैनिक व्यय ट्रैकिंग अनिवार्य
उम्मीदवारों को अपने दैनिक चुनाव व्यय का विस्तृत रिकॉर्ड रखना आवश्यक है। ऐसा न करने पर चुनाव आयोग से नोटिस मिल सकता है। सहायक पर्यवेक्षक यतिन शाह ने हाल ही में प्रत्याशियों के साथ बैठक की, जिसमें व्यय से संबंधित नियमों और आवश्यक दस्तावेजों के बारे में विस्तार से बताया गया।
व्यय रिकॉर्ड के लिए तीन रंग की पुस्तिका
रिकॉर्ड रखने को आसान बनाने के लिए प्रत्याशियों को तीन रंग की पुस्तिका दी गई है:
- सफेद पृष्ठ: कुल दैनिक व्यय रिकॉर्ड करने के लिए
- लाल पृष्ठ: नकद भुगतान के लिए
- गुलाबी पृष्ठ: चेक लेनदेन के लिए
चुनाव व्यय सीमा
चुनाव आयोग ने अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के लिए ₹8 लाख और सदस्य पद के लिए चुनाव लड़ने वालों के लिए ₹80,000 की व्यय सीमा तय की है। अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न प्रचार सामग्री की कीमतें भी तय की गई हैं।
प्रचार सामग्री के लिए निर्धारित दरें
आयोग ने निर्धारित कीमतों के साथ 78 चुनाव सामग्रियों की सूची जारी की है, जिनमें शामिल हैं:
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- गेंदे की माला: ₹30 से ₹3,000
- गुलाब की माला: ₹250 से ₹5,000
- गुलदस्ता: ₹300 से ₹800
- झंडा: अधिकतम ₹222
- पर्चे: ₹1,330 प्रति हजार
- टोपी: ₹23
- पटका: ₹34
- स्टिकर: ₹6 से ₹12
भोजन और पेय पदार्थ की दरें
उम्मीदवारों को भोजन और पेय पदार्थों के लिए निर्धारित दरों का भी पालन करना होगा:
- नाश्ता: ₹60
- दोपहर का भोजन: ₹100
- रात्रिभोज: ₹100
- शीतल पेय: ₹15 से ₹100
इन दरों में जीएसटी शामिल है और इन पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। चुनाव आयोग 9, 15 और 20 जनवरी को उम्मीदवारों के खर्चों की जांच करेगा। रिकॉर्ड बनाए रखने में किसी भी तरह की विसंगति या लापरवाही के परिणामस्वरूप उम्मीदवार को नोटिस जारी किया जाएगा।
चुनाव आयोग के सख्त व्यय दिशा-निर्देशों का उद्देश्य चुनावों के दौरान निष्पक्ष व्यवहार सुनिश्चित करना और अभियान खर्च में पारदर्शिता को बढ़ावा देना है।