Uttarakhand : उत्तराखंड में प्रतिवर्ष मानसून के मौसम में भूस्खलन, बाढ़ एवं बादल फटने की घटनाओं से प्रतिवर्ष काफी जान माल का नुकसान होता है।
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के द्वारा आपदा प्रभावित क्षेत्र में अलर्ट सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए बहु-खतरा प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित किया जा रहा है। इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य भूस्खलन, भूकंप, बाढ़ एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले खतरे का पूर्वानुमान लगाया जा सके, ताकि स्थानीय लोगों को समय रहते हुए चेतावनी दी जा सके।
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एसडीएमए सचिव विनोद कुमार सुमन के द्वारा ‘यू-प्रिपेयर’ योजना का शुभारंभ किया गया। “यू-प्रिपेयर योजना के तहत आपदा प्रबंधन से जुड़े सभी संगठनों एवं प्रारंभिक चेतावनी एजेंसियों से संपर्क स्थापित किया जाएगा। इन एजेंसियों उनकी सेवाओं का तभी मुआवजा दिया जाएगा जब उनके द्वारा सटीक एवं समय पर जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। इस प्रणाली का उपयोग करने का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आपदा में होने वाले नुकसान को काम किया जा सके,” सुमन ने कहा।
उन्होंने बताया, “राज्य में आधुनिक तकनीकों से लैस एक प्रणाली को विकसित किया जा रहा है। इस प्रणाली को विश्व बैंक के द्वारा वित्त पोषित यू-प्रिपेयर योजना के तहत लागू किया जाएगा।” उत्तराखंड में प्रतिवर्ष मानसून के मौसम में भूस्खलन, बाढ़ और बादल फटने से जान-माल का भारी नुकसान होता है। सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज (एसडीसी) फाउंडेशन ने गुरुवार को चार धाम यात्रा पर अपनी रिपोर्ट जारी की, जिसका शीर्षक है ‘तीर्थयात्रा के रास्ते’। एसडीसी के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा, “इस साल की चार धाम यात्रा में सभी चार तीर्थस्थलों और हेमकुंड साहिब में 261 मौतें हुई हैं। इनमें से 249 मौतें चिकित्सा कारणों से हुईं, जबकि 12 मौतें प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुईं।”