Valley Of Flowers Uttarakhand राज्य के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। प्रतिवर्ष यह काफी मात्रा में यात्री लोग घूमने आते हैं इस वर्ष मात्र 5 महीने में ही लगभग 20,000 से अधिक यात्री यहां आ चुके हैं। यूनेस्को की इस विश्व धरोहर स्थल मैं जहां 2019 में लगभग 17,424 यात्रियों की संख्या दर्ज की गई थी वह इसके गठन के बाद से सबसे अधिक थी। लेकिन विशेषज्ञों किराए है कि यह एक नाजुक घाटी है एवं यहां अधिक संख्या में यात्रियों के आने पर 1 कैप लगाने का आह्वान किया है।
विशेषज्ञों की राय में, Valley Of Flowers Uttarakhand इकोलॉजिकली एक सेंसिटिव क्षेत्र है। क्योंकि यह नाजुक घाटी है, इसलिए उनके द्वारा इस प्रकार की नीति की मांग की गई है कि इस स्तर पर आगंतुकों की संख्या सीमित रहे। वनस्पतिशास्त्रियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं स्थानीय लोगों के द्वारा भी सरकार से फूलों की घाटी मैं पर्यटन से संबंधित गतिविधियों को सीमित करने के लिए कहा है। उन्हें डर है कि यदि घाटी अत्यधिक मानवजनित दबाव के संपर्क में आ जाएगी।
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इस वर्ष मार्च में Valley Of Flowers Uttarakhand में गढ़वाल हिमालय में गर्मी के कारण से टिपरा ग्लेशियर का पिघलना देखा गया था। जहां पिछले सालों तक फूलों को खेलते हुए देखा जाता था। इस वर्ष जुलाई में अधिक बारिश एवं बोल्डर लुढ़कने के कारण घाटी को भी अचानक बंद कर दिया गया था।
इस मामले पर चर्चा प्रक्रिया में हैं
वरिष्ठ पारिस्थितिकीविद् और अल्पाइन विशेषज्ञ डॉ एसपी सिंह को लगता है कि जब हम पर्यटन की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की बात करते हैं तो कुछ गड़बड़ है। उन्होंने पर्यटकों की बढ़ती संख्या के कारण इस स्थान पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने के लिए अनुसंधान के महत्व पर जोर दिया।
TOI की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने आगे बताया कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि Valley Of Flowers Uttarakhand के वनस्पतियों एवं जीवों सहित घाटी के सभी पहलुओं पर शोध किया जाना चाहिए। इसके आधार पर हमें इस क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या पर सटीक सीमा निर्धारित करने में मदद मिल सकती है। लोगों को भी इस क्षेत्र की संवेदनशीलता के प्रति शिक्षित एवं जागरूक किया जाना चाहिए और फिर इस स्थान पर जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। फूलों की घाटी के रेंज अधिकारी गौरव नेगी ने कहा कि इस पर्यटन स्थल की वहन क्षमता पर चर्चा प्रक्रिया में है।
News Source and Credit :- TOI