'पानी' के पर्याय, इतालवी मूल के बिसलेरी ने भारत में पानी को एक वस्तु बना दिया

1969 में चौहान भाइयों द्वारा 4 लाख रुपये में खरीदा गया बिसलेरी एक लंबा सफर तय कर चुका है

अब यह भारतीय उपभोक्ता संस्कृति का एक अभिन्न अंग है।

पानी, जल, नीर, वेल्लम - ये भारतीय भाषाओं में पानी के कुछ सामान्य नाम हैं।

लेकिन पानी का एक पर्याय बिसलेरी है, जो सभी भारतीय भाषाओं में आम है।

टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (टीसीपीएल) 6,000-7,000 करोड़ रुपये में ब्रांड का विनिवेश करेगी।

जब उन्होंने 1993 में अपने सॉफ्ट-ड्रिंक पोर्टफोलियो- थम्स अप, गोल्ड स्पॉट, सिट्रा, माज़ा और लिम्का को अटलांटा-मुख्यालय कोका-कोला को बेच दिया।

कंपनी का दावा है कि 'वेदिका - हिमालयन स्प्रिंग वाटर' उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी में झरने से प्राप्त होता है।

वह ब्रांड अपने ग्राहकों को तीन अन्य वातित पेय, अर्थात् स्पाइसी, लिमोनाटा और फोंजो के अलावा एक बिसलेरी सोडा भी प्रदान करता है।

बिसलेरी की वेबसाइट के अनुसार, वर्तमान में देश भर में इसके 122 प्लांट हैं, इसके अलावा 4,500 वितरक और 5,000 वितरण ट्रक हैं।

पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर सेगमेंट में बिसलेरी की बाजार हिस्सेदारी 32-35 फीसदी है

और यह 250 एमएल से लेकर 20 लीटर तक के आठ अलग-अलग साइज में आता है।