उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में रहने वाले अधिकतर सभी परिवारों में चाहे वह गढ़वाल क्षेत्र के हो कुमाऊं क्षेत्र के हो या जौनसार क्षेत्र के हो सभी के घरों में सिलबट्टे में पिसा हुआ नमक “पिस्यूं लूण” आपको मिल जाएगा, उत्तराखंड के लोग बहुत अधिक तादाद में इस नमक का सेवन करते हैं इसमें मिलाए जाने वाले इनग्रेडिएंट्स को सभी लोग अपने स्वाद के अनुसार अनुपात में मिलाते हैं, आज इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से किस प्रकार यह सिलबट्टे में पिसा हुआ नमक बनाया जाता है एवं इसके क्या-क्या लाभ है इसके बारे में अधिक जानेंगे ?
सिलबट्टे में पिसा हुए नमक “पिस्यूं लूण” उत्तराखंड में किस प्रकार बनाया जाता है ?
सिलबट्टे में पिसा हुआ नमक “पिस्यूं लूण” उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में मुख्यता एक ही विधि से बनाया जाता है, लेकिन कुछ-कुछ क्षेत्रों में लोगों के द्वारा स्वाद अनुसार इस में परिवर्तन भी किए जाते रहे हैं और होते रहते हैं.
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सिलबट्टे में पिसा हुए नमक “पिस्यूं लूण” उत्तराखंड आवश्यक सामग्री .
- नमक पीसने के लिए आपको सबसे पहले सिलबट्टे की आवश्यकता होगी.
- हरी मिर्चीयों की आवश्यकता होगी.
- भुना हुआ जीरा चाहिए होगा.
- लहसुन की आवश्यकता होगी.
- हरे धनिए की आवश्यकता होगी.
सिलबट्टे में पिसा हुए नमक “पिस्यूं लूण” उत्तराखंड किस प्रकार का बनाएं .
- आपको सर्वप्रथम तवे पर हल्की आंच में जीरे को भूलना होगा.
- अब आपको सिलबट्टे में हरी मिर्ची ,भुना हुआ जीरा, लहसुन ,हरा धनिया सब को मिलाकर पीसना होगा.
- जब यह पूरी तरह से पेस्ट बन जाए तब इसको एक कटोरी में रख कर स्वाद अनुसार नमक मिलाकर कुछ देर के लिए छोड़ दें एवं उसके पश्चात इसका सेवन कर सकते हैं.
सिलबट्टे में पिसा हुए नमक “पिस्यूं लूण” उत्तराखंड के क्या फायदे हैं .
सिलबट्टे में पिछडे हुए नमक उत्तराखंड को यदि आयुर्वेद की दृष्टि से देखा जाए तो और इस में मिलाए जाने वाले इंग्रेडिएंट्स को सही अनुपात में रखकर इसका पेस्ट बनाया जाए तो यह स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक लाभप्रद होता है, जैसा कि आप सब जानते ही हैं कि लहसुन में कितने अधिक फायदे होते हैं यदि हम लहसुन की दो से तीन टुकड़े खाने का प्रयास करें तो हम नहीं खा सकते लेकिन इस नमक में 15 से 20 टुकड़े लहसुन के मिले होते हैं पीसने के बाद हम उसको भी बड़े चाव से खा लेते हैं.
उसी प्रकार जीरे के भी बहुत अधिक आयुर्वेदिक लाभ होते हैं उनका भी हम लाभ इससे उठा सकते हैं हरी मिर्ची का सीमित अनुपात में सेवन करना लाभप्रद होता है, हरे धनिए के भी आयुर्वेदिक लाभ बेहतर होते हैं और इसका उपयोग भी लाभदायक होता है, नमक का उपयोग स्वाद अनुसार कम किया जाए तो यह अच्छा होता है स्वास्थ्य के लिए.
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वर्तमान समय में लोगों ने अपनी जीभ के स्वाद के अनुसार इसमें बहुत अधिक परिवर्तन किया है लोग इसमें ज्यादा मिर्ची एवं नमक मिलाकर इस को बहुत अधिक चटपटा करके खाते हैं जिस के स्वास्थ्य लाभ से कम बीपी उच्च रक्तचाप की समस्याएं भी हो सकती है इसी से अलग यदि इसमें कम मिर्ची का उपयोग किया जाए लहसुन का अधिक उपयोग किया जाए नमक का कम उपयोग किया जाए तो यह बहुत ही स्वादिष्ट भी एवं स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद भी होता है क्योंकि कच्चे लहसुन का सेवन दिल के लिए बहुत अधिक लाभप्रद होता है.
सिलबट्टे में पिसा हुए नमक “पिस्यूं लूण” उत्तराखंड किस प्रकार सेवन करें ?
- उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में इस नमक का उपयोग मुख्यता रोटी मैं घी एवं पिसा हुआ नमक मिलाकर उसको बहुत चाव से खाया जाता है.
- उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में पाए जाने वाला फल माल्टा जो संतरे की तरह होता है की खटाई बनाकर जिसमें पिसे हुए नमक का उपयोग होता है बहुत अधिक चाव से खाया जाता है.
- उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में पाए जाने वाले बड़े आकार के खीरे के साथ भी इस नमक को लगाकर बहुत अधिक स्वाद से खाया जाता है.