महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज में हो रहा है। इस पावन अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में उत्तराखंड पवेलियन स्थापित किया गया है, जो उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक, धार्मिक, और प्राकृतिक धरोहर का प्रतीक है। यह आयोजन केवल एक मेले तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत और विश्व की विभिन्न संस्कृतियों के मिलन का उत्सव है।
मुख्यमंत्री की परिकल्पना और निर्देश
मुख्यमंत्री ने महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों के लिए उत्तराखंड पवेलियन को विशेष रूप से तैयार करने के निर्देश दिए। इसके अंतर्गत, तीर्थयात्रियों के लिए आवासीय सुविधाएं, स्थानीय भोजन, और टेंट सिटी का निर्माण किया गया है। पवेलियन प्रतिदिन 10,000 से 15,000 श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा है।
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यहां आने वाले लोग देवभूमि के भव्य मंदिरों की प्रतिकृतियों के दर्शन, फोटोग्राफी, पारंपरिक उत्पादों की खरीदारी, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद ले सकते हैं। मुख्यमंत्री का मानना है कि यह आयोजन 2026 में हरिद्वार में होने वाले कुंभ मेले की तैयारियों को मजबूत करेगा।
उत्तराखंड की कला, संस्कृति और उत्पादों का प्रदर्शन
आयुक्त एवं महानिदेशक उद्योग, श्री प्रतीक जैन के अनुसार, उत्तराखंड पवेलियन में राज्य की कला-संस्कृति, विशिष्ट उत्पादों, और अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स का प्रदर्शन किया गया है। पवेलियन में निम्नलिखित प्रमुख प्रदर्शनी आकर्षण हैं:
- ‘हाउस ऑफ हिमालया’: उत्तराखंड का अंतरराष्ट्रीय ब्रांड।
- ‘हिमाद्री’: राज्य के हथकरघा और हस्तशिल्प उत्पाद।
- खादी और बांस उत्पाद: पारंपरिक हस्तशिल्प को बढ़ावा।
- पर्यटन स्थलों और योग-आयुर्वेद: राज्य की विशेषता का प्रदर्शन।
सांस्कृतिक संध्या में राज्य की पारंपरिक कला और संस्कृति के कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए जा रहे हैं, जो दर्शकों के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
भव्य प्रवेश द्वार और धार्मिक प्रतिकृतियां
उत्तराखंड मंडपम में:
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- प्रवेश द्वार: केदारनाथ द्वार।
- निकास द्वार: बद्रीनाथ द्वार।
- प्रदर्शन: चारधाम – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ।
- हरिद्वार की हर की पैड़ी और गंगा की पवित्र धारा की प्रतिकृति।
- शीतकालीन चारधाम: जागेश्वर धाम, गोल्ज्यू देवता, और नीम करोली बाबा की दिव्य प्रतिकृतियां।
स्थान और पहुंच
उत्तराखंड पवेलियन प्रयागराज के सेक्टर-7, कैलाशपुरी मार्ग पर 40,000 वर्गफुट क्षेत्र में स्थापित किया गया है।
- प्रयागराज बस स्टैंड से: 6 किमी।
- प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन से: 8 किमी।
- प्रयागराज एयरपोर्ट से: 15 किमी।
- नजदीकी गंगा घाट: 800 मीटर।
- पवित्र संगम से दूरी: 5 किमी।
देवभूमि उत्तराखंड की दिव्यता और भव्यता का प्रतीक
यह पवेलियन उत्तराखंड की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को न केवल प्रदर्शित करता है बल्कि श्रद्धालुओं को राज्य के समृद्ध इतिहास और संस्कृति से जुड़ने का अवसर भी प्रदान करता है। यह प्रयास महाकुंभ 2025 को एक यादगार और भव्य आयोजन बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।