जोशीमठ धंसने ( Joshimath Shrinking) पर पीएमओ (PMO) ने की उच्च स्तरीय बैठक: मुख्य बिंदु.
जोशीमठ धंसने ( Joshimath Shrinking) पर पीएमओ (PMO) ने की उच्च स्तरीय बैठक: मुख्य बिंदु.

जोशीमठ धंसने ( Joshimath Shrinking) पर पीएमओ (PMO) ने की उच्च स्तरीय बैठक: मुख्य बिंदु.

प्रधानमंत्री कार्यालय के द्वारा रविवार को जोशीमठ मैं भूमि धंसने ( Joshimath Shrinking) संबंधित विषय पर उच्च स्तरीय बैठक की।

एक अधिकारी के द्वारा बैठक के बाद बताया गया कि उत्तराखंड सरकार की सहायता करने वाली केंद्रीय एजेंसियां एवं विशेषज्ञ के द्वारा उभरती स्थिति से निपटने के लिए लघु, मध्यम और दीर्घकालिक योजना तैयार करेंगे।

सीमा प्रबंधन सचिव और एनडीएमए के अधिकारी के द्वारा स्थिति का आकलन करने के लिए सोमवार को राज्य का दौरा किया जाएगा। आपातकालीन स्थिति में राहत एवं बचाव के लिए एनडीआरएफ की एक और एसडीआरएफ की चार टीमों को जोशीमठ में तैनात किया गया है।

जोशीमठ धंसाव (Joshimath Shrinking) संकट के मुख्य घटनाक्रम इस प्रकार हैं:

पीएमओ ने की हाई लेवल मीटिंग Joshimath Shrinking पर.

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने रविवार को जोशीमठ धंसाव (Joshimath Shrinking) की स्थिति पर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की।

बैठक में उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू और पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए.

बैठक के बाद संधू ने बताया कि जोशीमठ धंसाव (Joshimath Shrinking) में अब तक आए विशेषज्ञों से चर्चा की गई.

“सबसे पहले तो ये कोशिश है कि किसी को नुकसान न हो, जहां से खतरा हो वहां से लोगों को शिफ्ट किया जाए और कारणों का पता जल्द लगाया जाए. भारत सरकार ने विशेषज्ञों से बात की है और कल से विशेषज्ञों की टीम जोशीमठ पहुंच रही हैं।

पीएमओ के अनुसार, बैठक में कैबिनेट सचिव और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों ने भी भाग लिया।

उत्तराखंड के वरिष्ठ अधिकारियों और जोशीमठ के जिला अधिकारियों ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लिया।

पीएमओ के मुख्य सचिव के साथ समीक्षा बैठक के तुरंत बाद, डीजीपी और मुख्यमंत्री के सचिव आरके मीनाक्षी सुंदरम ने भूस्खलन क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया।

अध्ययन के लिए 7 संस्थाओं के विशेषज्ञ देंगे सिफारिशें : (Joshimath Shrinking)

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, आईआईटी रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों की एक टीम को अध्ययन करने जोशीमठ की स्थिति पर सिफारिशें देने का काम सौंपा गया है।

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा की अध्यक्षता में की गई उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिए गए।

पीएम मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी से Joshimath Shrinking मुद्दे पर बात की.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा रविवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ टेलीफोन के माध्यम से वार्ता की गई जिसमें भूस्खलन के मद्देनजर जोशीमठ के प्रभावित लोगो की सुरक्षा एवं उनके पुनर्वास के लिए उत्तराखंड सरकार के द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी ली।

मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) के अनुसार, प्रधान मंत्री के द्वारा जोशीमठ वासियों की चिंताओं को कम करने एवं उसका हल करने के लिए तत्काल एवं दीर्घकालिक कार्य योजनाओं की प्रगति के बारे में भी विस्तार से पूछताछ की।

सीएमओ ने बताया कि प्रधानमंत्री के द्वारा व्यक्तिगत रूप से जोशीमठ(Joshimath) की स्थिति एवं क्षेत्र में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे काम की निगरानी कर रहे हैं।

जोशीमठ को भूस्खलन-अवतलन क्षेत्र घोषित किया गया( Joshimath Declared Sinking Zone).

एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को बताया कि जोशीमठ को भूस्खलन-धरावट क्षेत्र घोषित( Joshimath Declared Sinking Zone) किया गया है एवं इस डूबते शहर में रहने वाले 60 से अधिक लोगों के परिवार को अस्थायी राहत केंद्रों में पहुंचाया गया है।

चमोली के जिलाधिकारी (DM) हिमांशु खुराना के द्वारा भी नुकसान का आकलन करने के लिए स्वयं प्रभावितों के घर-घर जाकर उनसे राहत केंद्रों में जाने की अपील की।

कुमार ने बताया कि प्रभावित क्षेत्र, उन घरों सहित जिनमें पूर्व में दरारें पड़ गई थीं एवं जिनके हाल ही में क्षतिग्रस्त हो गए थे, यह एक बड़ा आर्च बनाता है जो लगभग 1.5 किमी में फैला हो सकता है।

जोशीमठ में जिला प्रशासन के द्वारा चार-पांच सुरक्षित स्थानों पर अस्थाई राहत केंद्र बनाए गए हैं. उन्होंने बताया कि कुछ और इमारतों, जिनमें कुछ होटल, एक गुरुद्वारा एवं दो इंटर कॉलेज शामिल हैं, को भी अस्थायी आश्रयों के रूप में उपयोग करने के लिए अधिग्रहित किया गया है, जिसमें लगभग 1,500 लोग रह सकते हैं।

शंकराचार्य के मठ में भी दरारें पड़ गई हैं

हिंदू मठों में से एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल, जोशीमठ क्षेत्र में शंकराचार्य मठ में भी यह देखा गया है की पिछले 15 दिनों में कई जगहों पर दरारें आ गई हैं, जिससे इस धार्मिक संस्थान में रह रहे लोगों में डर पैदा हो गया है।

ज्योतिर्मठ प्रशासन के द्वारा बताया गया है की पिछले 15 दिनों में ये दरारें बढ़ी हैं।

मठ के प्रमुख स्वामी विश्वप्रियानंद ने इस सब का जिम्मेदार ‘विकास’ को आपदा का कारण बताया है।

पवित्र शहर जोशीमठ को बड़े पैमाने पर भूमि-धंसाव का सामना करना पड़ रहा है, जो पिछले कुछ दिनों में काफी बढ़ गया है।

जोशीमठ, बद्रीनाथ एवं हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों और अंतर्राष्ट्रीय स्कीइंग गंतव्य औली का प्रवेश द्वार, भूमि अवतलन(Land Sinking) के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है।

सीएम धामी के द्वारा भी जोशीमठ क्षेत्र का दौरा किया, उन्होंने भी परिवारों को प्राथमिकता पर निकालने का आह्वान किया

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा लगभग 600 प्रभावित परिवारों को तुरंत खाली करने का निर्देश देने के एक दिन पश्चात जमीनी स्थिति का आकलन करने के लिए स्वयं शनिवार को जोशीमठ प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया था।

धामी ने बताया कि जोशीमठ सांस्कृतिक, धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है एवं इसे बचाने के लिए हमारे द्वारा हर संभव प्रयास किया जाएगा।

‘जोशीमठ में सर्वाधिक प्रभावितों के घर टूटे हैं’

एक आठ सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल के द्वारा सिफारिश की है कि “जोशीमठ में जो घर अधिकतम क्षति वाले हैं उनको ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए, एवं जो क्षेत्र रहने योग्य हो गए हैं उनकी भी पहचान की जानी चाहिए एवं जोखिम वाले परिस्थितियों में रह रहे लोगों का पुनर्वास तत्काल उपाय के रूप में किया जाना चाहिए”।

जोशीमठ में इमारतों को हुए नुकसान एवं जमीन के धंसने (सिंकेज) (Land Sinking) की परिस्थिति का आकलन करने के लिए तत्काल कार्य करने वाली विशेषज्ञ की टीम ने अपने दो दिवसीय सर्वेक्षण के दौरान प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है एवं शनिवार को अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया गया, जिसकी एक प्रति सभी मीडिया हाउसेस को भी भेज दी गई थी।

इसने सुनील, मनोहर बाग, सिंहधर एवं मारवाड़ी क्षेत्रों में पूर्व में अगस्त 2022 में कुछ महीने पहले किए गए पिछले क्षेत्रीय सर्वेक्षण की तुलना में “गंभीर नुकसान” देखा है।

क्षेत्र के निवासी परेशान हैं एवं प्रशासन के द्वारा परिवारों के लिए व्यवस्था की गई

घरों एवं सड़कों में दरारें दिखने के पश्चात जोशीमठ के सभी निवासियों में दहशत का माहौल वन गया है एवं प्रशासन के द्वारा उन्हें खाली कर नगरपालिका के रैन बसेरों में स्थानांतरित किया जा रहा है।

जिला आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, जोशीमठ में हो रहे लगातार भूमि धंसने के कारण लगभग 561 घरों में दरारें देखी गई हैं।
इस बीच, प्रभावित स्ट्रक्चर की संख्या – आवासीय, वाणिज्यिक एवं यहां तक कि मंदिर – जिनमें बड़ी दरारें पड़ गई हैं, मात्र 48 घंटों के भीतर 561 से बढ़कर वह अब 603 हो गई हैं।

जिला प्रशासन के द्वारा प्राकृतिक आपदा से प्रभावित सभी परिवारों के लिए ‘सुरक्षित राहत शिविरों’ में रहने की व्यवस्थाएं की गई है।” जिसकी जानकारी रविवार को जिला प्रशासन के द्वारा दी गई।

जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बीती रात स्वयं राहत शिविरों का दौरा कर व्यवस्थाओं का जायजा भी लिया। उन्होंने कहा कि यदि कोई आवश्यकता है तो उसे तत्काल उपलब्ध कराया जा रहा है।