Uttarakhand Maa Nanda Devi Award 2022 : केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक एवं उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण के द्वारा मंगलवार को उत्तराखंड राज्य में समाज सेवा क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने वाली उत्कृष्ट 13 महिलाओं ‘Maa Nanda Devi Award 2022’ प्रदान किया गया।
यह सम्मान कार्यक्रम उत्तराखंड विधानसभा भवन में आयोजित किया गया इस सम्मान समारोह में महिलाओं को सम्मानित करने के अलावा देश की रक्षा में शहीद हुए 2 सैनिकों – मेजर विभूति शरण ढौडियाल की माता सरोज ढौडियाल एवं मेजर चित्रेश बिष्ट की माता रेखा बिष्ट को भी सम्मानित किया गया।
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Uttarakhand Maa Nanda Devi Award 2022 : केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक एवं उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण के द्वारा मंगलवार को उत्तराखंड राज्य में समाज सेवा के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने वाली उत्कृष्ट 13 महिलाओं को ‘Maa Nanda Devi Award 2022’ प्रदान किया गया।
Uttarakhand Maa Nanda Devi Award 2022 : प्राप्त करने वाली महिलाओं के नामों की घोषणा उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण और श्री नंदा देवी जात पीठिका समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद तरुण विजय जी के द्वारा सोमवार को की थी।
Uttarakhand Maa Nanda Devi Award 2022 List.
- सरिता ढौंडियाल : शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल की माता जी सरिता ढौंडियाल।
- रेखा बिष्ट : शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट की माता जी रेखा बिष्ट।
- ममता रावत: उत्तरकाशी के भटवाड़ी की निवासी है इनके द्वारा 2013 में आई आपदा के समय राहत कार्यों में विशेष योगदान दिया गया था एवं वर्तमान में होमस्टे एवं ट्रैकिंग के द्वारा लोगों को स्वरोजगार से जोड़ रही हैं।
- फ्लाइंग ऑफिसर निधि बिष्ट : सेना की जांबाजी के किस्से से प्रेरित होकर पौड़ी जिले की बेटी निधि बिष्ट ने देश की सेवा में जाने का कदम उठाया।
- बीना बेंजवाल: बिना बेनीवाल जी लेखिका एवं कवि हैं इनके द्वारा विभिन्न पुस्तकों एवं पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक महिला विमर्श से संबंधित एवं लोक भाषा के लेख के माध्यम से अपना योगदान दिया है एवं इनको कई अन्य सम्मान भी मिले हैं।
- सीता देवी बुरफाल: पिथौरागढ़ की 80 वर्षीय निवासी सीता देवी बुरफाल जी ने बीते कई वर्षों से समाज सेवा में अपना अद्वितीय योगदान दिया है। साथ-साथ पलायन को रोकने संबंधित महत्वपूर्ण विषय पर उनकी सक्रिय भूमिका रही है।
- अनीता टम्टा: गंगनाथ स्वयं सहायता समूह के माध्यम से (देवलधार) बागेश्वर की इस वीरांगना अनिता टम्टा ने कोरोना काल में मास्क बनाकर एवं इंदिरा अम्मा भोजनालय संचालित करने सहित इसके अलावा हैंडीक्राफ्ट के क्षेत्र में कार्य कर क्षेत्र की बहुत सी महिलाओं को स्वरोजगार के साथ जोड़ा।
- कलावती बडाल: धारचूला निवासी कलावती बडाल एडवेंचर के क्षेत्र में कार्य करती है यह क्लाइंबिंग बियोंड द समिट्स (सीबीटीएस) की भी सक्रिय सदस्य हैं। धारचूला निवासी पर्वतारोही के द्वारा 2021 की आपदा के समय भारत चीन सीमा पर बंद रास्तों के बीच अपनी टीम के द्वारा हजारों लोगों को राहत पहुंचाने का कार्य किया।
- अशिता डोभाल: नौगांव उत्तरकाशी की रहने वाली इस वीरांगना अशिता डोभाल ने शिक्षा स्वास्थ्य एवं स्वावलंबन के क्षेत्र में कार्य कर गरीब एवं वंचित वर्ग के लोगों को स्थानीय स्वरोजगार से जोड़कर आजीविका उपलब्ध कराई। साथ ही पहाड़ की गौरवमई संस्कृति एवं परंपराओं को संजोए रखने के लिए उत्तराखंड के पहाड़ी व्यंजन को विशेष पहचान दिलाने में अपना योगदान दिया।
- निवेदिता पंवार: टिहरी जिले के चंबा निवासी एवं ग्राम प्रधान के द्वारा कोरोना महामारी एवं विभिन्न आपदाओं के समय अपने क्षेत्र के लोगों की सेवा एवं समाज कार्य किया।
- आशा देवी: जिला बागेश्वर की रहने वाली वीरांगना आशा देवी जी ने सैकड़ों स्वयं सहायता समूह और ग्राम संगठन बना कर अपने क्षेत्र की महिलाओं के लिए स्वरोजगार उत्पन्न किया।
- गीता देवी पांगती: महिला जनजाति उत्थान समिति के द्वारा गीता देवी पांगती ने मुनस्यारी में स्वयं सहायता समूह बनवाकर हस्तशिल्प के कार्यों को अधिक बढ़ावा देते हुए क्षेत्र की महिलाओं को स्वरोजगार प्रदान किए। इसके साथ-साथ ही पलायन को रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- तारा पांगती: पिथौरागढ़ की मुनस्यारी निवासी तारा पांगती ने समाज कल्याण बोर्ड की सदस्य, महिला आयोग की सदस्य, जोहार घाटी महिला हथकरघा समिति की अध्यक्ष सहित अन्य पदों पर रहते हुए महिलाओं के उत्थान की दिशा में कार्य किया।
- तारा टाकुली: बागेश्वर के कपकोट निवासी तारा टाकुली के द्वारा विभिन्न समाज सेवा के कार्यों के माध्यम से महिलाओं को जागरूक करने की दिशा में कार्य किया।
- तारा जोशी: टनकपुर चंपावत निवासी तारा जोशी के द्वारा स्थानीय उत्पादों एवं प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके ग्रामीण महिलाओं व पुरुषों को प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार पैदा किया। वहीं विभिन्न सहायता समूह का गठन कर आजीविका के संसाधन उत्पन्न किए।