सुप्रीम कोर्ट के द्वारा Sinking Joshimath Matter को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने से इंकार कर दिया गया है एवं याचिकाकर्ताओं को कहां है कि आप उत्तराखंड उच्च न्यायालय मैं जाकर अपनी करें।
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सोमवार को उत्तराखंड के आपदा प्रभावित Sinking Joshimath Matter को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए अदालत से हस्तक्षेप करने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया गया है एवं कहां है कि राज्य उच्च न्यायालय द्वारा व्यापक मुद्दों पर विचार किया जा रहा है इसलिए उनको इसकी सुनवाई करनी चाहिए। यह सिद्धांत की बात है।
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याचिकाकर्ता के वकील के द्वारा प्रस्तुत किया गया है कि जोशीमठ(Sinking Joshimath Matter) में लोग मर रहे हैं , शीर्ष अदालत के द्वारा उनको सख्ती से कहा, “आप सोशल मीडिया में ध्वनि बाइट्स के लिए इन कार्यवाही का उपयोग नहीं करना चाहते हैं।”
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा एवं जेबी पारदीवाला की पीठ के द्वारा याचिकाकर्ता स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को कहां की आप अपनी याचिका को उत्तराखंड उच्च न्यायालय मैं जाकर सबमिट करें सुनवाई के लिए।
पीठ ने यह भी कहा, ” की सैद्धांतिक रूप से, हमको उच्च न्यायालय को इससे निपटने की अनुमति देनी चाहिए। उच्च न्यायालय में कई तरह के मुद्दे हैं, हम आपको उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता देंगे।”
“इन कार्यवाहियों के द्वारा जिन विशिष्ट पहलुओं को उजागर किया गया है, उन्हें मुद्दों को उपयुक्त निवारण के लिए उच्च न्यायालय के समक्ष संबोधित किया जा सकता है। तदनुसार हम याचिकाकर्ताओं को या तो उच्च न्यायालय के समक्ष एक ठोस याचिका दायर करने की अनुमति देते हैं ताकि वह लंबित कार्यवाही के साथ हो या मामले में हस्तक्षेप कर सके।” लंबित मामला। उच्च न्यायालय से शिकायत पर विचार करने का अनुरोध किया जाता है, “पीठ ने कहा।
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उत्तराखंड सरकार के वकील के द्वारा बताया गया कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए सभी बिंदुओं पर पहले ही सरकार के द्वारा कार्रवाई की जा चुकी है।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार जैन ने बताया कि लोग मर रहे हैं एवं जमीन धंसने से प्रभावित लोगों को राहत और पुनर्वास के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।
पीठ ने तब टिप्पणी की, ” आपको इन कार्यवाही का उपयोग सोशल मीडिया में ध्वनि बाइट्स के लिए नहीं करना चाहते हैं, आप जो चाहते हैं उस प्रभावित व्यक्तियों के लिए राहत है।”
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा याचिकाकर्ता को अपनी याचिका के साथ हाईकोर्ट जाने को कहा।
जोशीमठ, बद्रीनाथ एवं हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों और अंतरराष्ट्रीय स्कीइंग गंतव्य औली का प्रवेश द्वार, इमारतों, सड़कों एवं सार्वजनिक सुविधाओं पर दिखाई देने वाली दरारों के साथ एक चट्टान के किनारे पर दिखाई देता है। भीषण सर्दी में प्रभावित परिवारों को राहत एवं पुनर्वास प्रदान करने के लिए राज्य सरकार को एक कठिन कार्य का सामना करना पड़ रहा है।
याचिकाकर्ता के द्वारा दावा किया है कि बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के कारण शहर के बहुत से हिस्सों में धंसाव हुआ है एवं तत्काल वित्तीय सहायता और मुआवजे की मांग की है।
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याचिका में इस चुनौतीपूर्ण समय में जोशीमठ(Sinking Joshimath Matter) के निवासियों को सक्रिय रूप से समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को निर्देश देने की भी मांग की गई है।
संत की याचिका में कहा गया है, “मानव जीवन और उनके पारिस्थितिकी तंत्र की कीमत पर किसी भी विकास की आवश्यकता नहीं है और अगर ऐसा कुछ भी होता है, तो यह राज्य और केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि इसे तुरंत युद्ध स्तर पर रोका जाए।” .